भ्राति द्वितीया
कार्तिक शुक्ल द्वितिया दिन भाई क पूजा बहिन करैत छथि I
बहिन आँगन में कमल क फूल वाला अरिपन पिठार आ सिन्दूर सं बनबैत छथि आ ओहि पर अढिया राखल जाइत अछि .एकटा पीढ़ी पर षट्दल क अरिपन द ओटल राखल जाइत अछि I
एकटा लोटा में अछिन्जल आ पिठार आ सिन्दूर राखल रहैत अछि I अढिया में छह टा कुम्हर क फूल (/गेंदा )छह डाँट लागल पान क पात ,छह टा गोट सुपारी ,मखान आ चांदी क सिक्का रहत I
भाई अरिपन देल पीढ़ी पर दुनू आँजुर(हाथ)जोङि बैसैत छथि ,बहिन ओहि आँजुर पर पिठार आ सिन्दूर लगा ओहि पर पान क पात,सुपारी ,कुम्हरक फूल ,मखान आ सिक्का राखि आँजुर पर लोटा सं जल दैत अढिया में खसबैत मंत्र पढैत छैथ
"गंगा नोतय छैथ यमुना क,हम नोतय छी भाय के
ज्यो ज्यो यमुना धार बढ़े,हमरा भैया के ओरदा बढ़ा "
अहिना बहिन तीन बेर भाई क नोत लइत छैथ I भाई क कपार बर बहिन सिन्दूर लगवैत छथि Iबहिन भाई क खेवक लेल मखान क खीर दैत छेथिन I भाई यथा विभव बहिन क दान दैत छथि I
एकटा छोट प्रयास ,कुनु त्रुटि भेला स क्षमा करब I
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