दीपावली
इ कार्तिक क अमावस्या दिन होइत अछि
संध्या काल लक्ष्मी पूजा भगवती घर में होईत अछि I कोजगरा दिन जेकाँ असोरा सं भगवती घर तक अरिपन देल जाइत अछि I भगवती लग अष्टदल अरिपन द ओहि पर पीढ़ी राखल जाइत अछि I साँझ खन तुलसी लग दीप जरा प्रसाद उसगरि घर आँगन आ दलान पर दीप जरायल जाइत अछि (मिथिला क पुरान पध्दति अछि खडक उक जरा उका लोली भाँजल जाइत अछि ) I
तखन घर में जे अरिपन देल पीढ़ी छैक ओकरा बीच में काठक तामा रहैत छैक I पीढ़ी क चारु कात दीप जरैत रहै छैक ,तामा में सोना,चांदी ,द्रव्य आ अन्न भरल रहैत ऐछ I ओहि ठाम केरा पात पर लक्ष्मी गणेश क पूजा होईत अछि I प्रसाद में धान क लावा ,लड्डू आ नारियल चढ़ैत अछि I
रात्रि क अंतिम पहर में घर क महिला सूप डेंगवइत पाँच बेर निम्न कहैत घर बाहर करैत छथि
"धन-धन लक्ष्मी घर आउ
दारिद्र बाहर जाऊ "
एकटा छोट प्रयास ,कुनु त्रुटि भेला स क्षमा करब I
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