देवोत्थान एकादशी
कार्तिक शुक्ल एकादशी दिन देवोत्थान व्रत कयल जाइत अछि I
कहल जा इत अछि जे अषाढ़ शुक्ल एकादशी के देवतालोक शयन करैत छैथ ,भाद्र शुक्ल एकादशी क करवट लइत छैथ आ कार्तिक शुक्ल एकादशी दिन जगैत छैथ I
मिथिला पद्धति अनुसारे एही दिन लोक दिन भरि व्रत राखि साँझ में फलाहार करैत छैथ I
बीच आँगन में तुलसी चौङा लग पिठार सिन्दूर सं अष्ट दल अरिपन दय ओहि पर एकटा पीढ़ी राखि पीढी पर सेहो पिठार सिन्दूर लगा देल जायत I पीढ़ी क चारु कात कुशियार (ईख )बाँधी मंडप क निर्माण कयल जायत अछि I साँझ खन तुलसी चौङा लग पूजा क सामान,फूल,चानन,धुप दीप ,नेवेद्य (अल्हुआ ,सुथनी,सिंघार आदि ),तील.तुलसी क मंजरी ,फूल,माला राखि पीढ़ी क चारु कोंन पर दीप जरायल जाइत अछि I
सांध्य काल स्नान क आसान पर बैसि पञ्च देवता क पंचोपचार पूजा कय ,विष्णु पूजा कय भगवान के उठयबाक मंत्र पढि उठाओल जाइत अछि
भगवान क उठेवाक मंत्र
"ओम्ब्रह्मेन्द्ररुद्रै भिवन्द्ममानो भावनृषिवॅन्दितवन्दनीयः I
प्राप्तां तवेय किल कौमुदाख्या जागृष्व -जागृ ष्व च लोक नाथ II
मेघा गतानिर्मल पूर्ण चन्द्रः शरद्यपुष्पाणि मनोहराणि I
अहं ददानीति च पुण्यहेतो जागृष्व जागृष्व च लोकनाथ II
उतिष्ठोतिष्ठ गोविन्द त्यज निंद्रा जगत्पते I
त्वया चोत्थीय मानेन उत्थितं भुवनत्रयम II
साँझ खन कोजगरा दिन जेकाँ ओसारा सं भगवती घर तक अरिपन द भगवती (गोसावानी ) क घर कयल जायत I
"अन धन लक्ष्मी घर आउ,
दारिद्र बाहर जाऊ "
एकटा छोट प्रयास ,कुनु त्रुटि भेला स क्षमा करब I