Monday, November 2, 2015

८.देवोत्थान एकादशी

देवोत्थान एकादशी
कार्तिक शुक्ल एकादशी दिन देवोत्थान व्रत कयल जाइत अछि I
कहल जा इत अछि जे अषाढ़ शुक्ल एकादशी के देवतालोक शयन करैत छैथ ,भाद्र शुक्ल एकादशी क करवट लइत छैथ आ कार्तिक शुक्ल एकादशी दिन जगैत छैथ I
मिथिला पद्धति अनुसारे एही दिन लोक दिन भरि व्रत राखि साँझ में फलाहार करैत छैथ I
बीच आँगन में तुलसी चौङा लग पिठार सिन्दूर सं अष्ट दल अरिपन दय ओहि पर एकटा पीढ़ी राखि पीढी  पर सेहो पिठार सिन्दूर लगा देल जायत I पीढ़ी क चारु कात कुशियार (ईख )बाँधी  मंडप क निर्माण कयल जायत अछि I साँझ खन तुलसी चौङा लग पूजा क सामान,फूल,चानन,धुप दीप ,नेवेद्य (अल्हुआ ,सुथनी,सिंघार आदि ),तील.तुलसी क मंजरी ,फूल,माला राखि पीढ़ी क चारु कोंन  पर दीप जरायल जाइत अछि I
सांध्य काल स्नान क आसान पर बैसि पञ्च देवता क पंचोपचार पूजा कय ,विष्णु पूजा कय  भगवान के उठयबाक मंत्र पढि उठाओल जाइत अछि
भगवान क उठेवाक मंत्र 
"ओम्ब्रह्मेन्द्ररुद्रै भिवन्द्ममानो  भावनृषिवॅन्दितवन्दनीयः I
प्राप्तां तवेय किल कौमुदाख्या जागृष्व -जागृ ष्व च लोक नाथ II
मेघा गतानिर्मल पूर्ण चन्द्रः शरद्यपुष्पाणि मनोहराणि  I
अहं ददानीति च पुण्यहेतो जागृष्व जागृष्व च लोकनाथ II
उतिष्ठोतिष्ठ  गोविन्द त्यज निंद्रा जगत्पते I
त्वया चोत्थीय मानेन उत्थितं भुवनत्रयम II
साँझ खन कोजगरा दिन जेकाँ ओसारा सं भगवती घर तक अरिपन द भगवती (गोसावानी ) क घर कयल जायत I
"अन धन लक्ष्मी घर आउ,
दारिद्र बाहर जाऊ  "
एकटा छोट प्रयास ,कुनु त्रुटि भेला स क्षमा करब  I

७.भ्राति द्वितीया

भ्राति द्वितीया
कार्तिक शुक्ल द्वितिया दिन भाई क पूजा बहिन करैत छथि I
बहिन आँगन में  कमल क फूल वाला अरिपन पिठार आ सिन्दूर सं बनबैत छथि आ ओहि पर अढिया राखल  जाइत  अछि .एकटा पीढ़ी पर षट्दल क अरिपन द ओटल राखल जाइत अछि I

एकटा लोटा में अछिन्जल आ पिठार आ सिन्दूर राखल रहैत अछि I अढिया में छह टा कुम्हर क फूल (/गेंदा )छह डाँट लागल पान क पात ,छह टा गोट सुपारी ,मखान  आ चांदी क सिक्का रहत I
भाई अरिपन देल पीढ़ी पर दुनू आँजुर(हाथ)जोङि  बैसैत छथि ,बहिन ओहि आँजुर पर पिठार आ सिन्दूर लगा ओहि पर   पान क पात,सुपारी ,कुम्हरक फूल ,मखान आ सिक्का राखि आँजुर पर लोटा सं जल दैत अढिया  में खसबैत  मंत्र पढैत छैथ
"गंगा नोतय  छैथ यमुना क,हम नोतय छी भाय के
ज्यो ज्यो यमुना धार बढ़े,हमरा भैया के ओरदा बढ़ा "
अहिना बहिन तीन बेर भाई  क नोत लइत छैथ I भाई क कपार बर बहिन सिन्दूर लगवैत छथि Iबहिन भाई क खेवक लेल मखान क खीर दैत छेथिन I भाई यथा विभव बहिन क दान दैत छथि I
एकटा छोट प्रयास ,कुनु त्रुटि भेला स क्षमा करब  I

६.मिथिला क दीपावली पूजा

दीपावली
इ कार्तिक क अमावस्या दिन होइत अछि
संध्या काल लक्ष्मी पूजा भगवती घर में होईत अछि I कोजगरा दिन जेकाँ असोरा सं भगवती घर तक अरिपन देल जाइत अछि I भगवती लग अष्टदल अरिपन द  ओहि पर पीढ़ी राखल जाइत अछि I साँझ खन  तुलसी लग दीप जरा प्रसाद उसगरि घर आँगन आ दलान  पर दीप जरायल जाइत अछि (मिथिला क पुरान पध्दति अछि खडक उक जरा  उका लोली भाँजल जाइत अछि ) I



तखन घर में जे अरिपन देल पीढ़ी छैक ओकरा बीच में काठक तामा रहैत छैक I पीढ़ी क चारु कात  दीप जरैत रहै छैक ,तामा में सोना,चांदी ,द्रव्य  आ अन्न भरल रहैत ऐछ I ओहि ठाम केरा पात पर लक्ष्मी गणेश क पूजा होईत अछि I प्रसाद में धान क लावा ,लड्डू आ नारियल  चढ़ैत अछि I
रात्रि क अंतिम पहर में घर क महिला सूप डेंगवइत पाँच बेर निम्न कहैत घर बाहर करैत छथि
"धन-धन लक्ष्मी घर आउ
दारिद्र बाहर जाऊ "
एकटा छोट प्रयास ,कुनु त्रुटि भेला स क्षमा करब  I

५.कोजगरा

कोजगरा 
आश्विन शुक्ल पूर्णिमा क कोजगरा मनायल जाइत अछि I नव विवाहित वर के घर क आँगन में अष्ट दल क अरिपन देल जाइत आछि ओहि पर डाला (जाहि पर मखान,नारियल,पान,सुपारी ,जनउ ,कउरी ,पचीसी आ शतरंज राखल रहैत अछि )राखल जाइत  एछि I डाला क सामने पुरहर पातील(जाहि में एकटा दीप जरैत राखल रहत ) आ कलश (जाहि में जल आ आम क पल्लव रहत ) पिठार (चावल पीसल)लगा राखल जाइत छै I एकटा पीढ़ी पर अरिपन द अष्ट दल क पश्चिम में राखल जाइत अछि I राति में  विवाहित वर सासुर सं आयल कपड़ा पहिर पीढ़ी पर पूर्व दिशा दिस भय बैसैत छैथ I वर क दुइब ,धान ल क पाँच बेर अंगोछल जाइत अछि (चुमवैत काल यदि कनिया घर उपस्थित छैथ क वर क ओ नई देखति)I चूमाओन क बाद कम सं  कम  पाँच टा ब्राह्मण दूर्वाक्षत दैत छैथ
दूर्वाक्षत मंत्र 
"ओम आब्रह्मन ब्राह्मणों ब्रह्मवर्चसी जायतांमा राष्ट्रे राजन्यः शूर इष्व्योति व्याधी महारथो जयताम दोग्घ्री धेनुढा न डवानाशुः सप्तिः पुर्न्ध्रिषा विष्णुर थेषटा सभेयो युवा स्य यजमानस्य वीरो जयताम निकामे निकामे नःपज्जॅन्यो वर्षतु फलवत्यो न ओषधय पच्यनताम्  योगक्षेमो न कल्पताम्  I
मंत्रथाँय सिद्धयः सन्तु पूर्णाः सन्तु मनोरथाः शत्रुणा बुद्धिनाशोस्तु मित्राणामुदयसत्व  II
तदोपरांत वर भगवती का प्रणाम क अपना श्रेष्ठ गण क प्रणाम करतैथ .घर में भोज भात क आयोजन होइत ऐछ आ पान आ मखान बाटल जाइत ऐछ I
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मिथिला क लक्ष्मी पूजा 
आश्विन क पूर्णिमा दिन घर आँगन साफ़ क साँझ में दुआरि सं भगवती घर तक अरिपन देल जाइत अछि .भगवती लग कमल क अरिपन द ओहि पर एकटा लोटा में जल द ओहि में आम क पल्लव राखल जाइत अछि .आम क पल्लव पर ताम क सरवा  में एकटा चांदी क रुपैया राखल जाइत अछि ताहि पर लक्ष्मी पूजा होईत अछि .प्रसाद में अंकुरी,पान,मखान,केरा ,मिसरी आ नारियल रहैत अछि .इ पूजा घर क स्त्रिगण करैत छथि
भगवती घर कर क मंत्र -
"अन धन लक्ष्मी घर आउ,
दारिद्र बाहर जाऊ  "
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